फीचर लेखन
Quick Overview
इस नए दौर में बदलते सामाजिक एवं आर्थिक परिदृश्य ने फीचर को नए क्षेत्र, नए विषय, नई उपविधाएं, शाखाएं दी हैं। जाहिर है उनकी जरूरतों से सामंजस्य बिठाते भाषा शैली भी बदलती है। यदि इस बदलाव के मद्देनजर फीचर लेखक अपने को तैयार करे तो बाजार में उसके लिए आज पहले से कहीं ज्यादा स्थान एवं धनागम के स्रोत मौजूद हैं। यह पुस्तक इस दृष्टि से उपयोगी है तथा यह नितांत किताबी शैली में नहीं है। यह एक पाठ्य-पुस्तक, निर्देशिका का गुण तो रखती है पर अध्यापक के नजरिए से नहीं एक वशिष्ठ, अनुभवी मित्र की तरह विषय को व्याख्यायित करती है। दो दशक से पत्रकारिता से सक्रिय संजय श्रीवास्तव का जन्म 1965 में हुआ। इन्होंने गोरखपुर, उत्तरप्रदेश से विज्ञान में स्नातक किया।अब तक उनके शताधिक वैचारिक अग्रलेख, ढेरों फीचर, कुछ विज्ञान फंतासी और दूसरी इतर पत्रकारिय विधाओं संबंधित कई रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। शब्द चित्र उकेरने वाले किंचित व्यंग्यातमक स्तंभ ‘शख्सीयत’ से उनको पहचान मिली। अंतर्राष्ट्रीय विषयों, विज्ञान, दर्शन, रक्षा स्वास्थ्य, पर्यटन के अलावा अपराध विज्ञान और खेल भी उनके पंसदीदा विषय रहे हैं। संप्रति राष्ट्रीय सहारा, हिन्दी दैनिक, दिल्ली से संबद्ध है।
Name | फीचर लेखन |
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ISBN | 8128814338 |
Pages | 176 |
Language | Hindi |
Author | Sanjay Srivastav |
Format | Paperback |
इस नए दौर में बदलते सामाजिक एवं आर्थिक परिदृश्य ने फीचर को नए क्षेत्र, नए विषय, नई उपविधाएं, शाखाएं दी हैं। जाहिर है उनकी जरूरतों से सामंजस्य बिठाते भाषा शैली भी बदलती है। यदि इस बदलाव के मद्देनजर फीचर लेखक अपने को तैयार करे तो बाजार में उसके लिए आज पहले से कहीं ज्यादा स्थान एवं धनागम के स्रोत मौजूद हैं। यह पुस्तक इस दृष्टि से उपयोगी है तथा यह नितांत किताबी शैली में नहीं है। यह एक पाठ्य-पुस्तक, निर्देशिका का गुण तो रखती है पर अध्यापक के नजरिए से नहीं एक वशिष्ठ, अनुभवी मित्र की तरह विषय को व्याख्यायित करती है। दो दशक से पत्रकारिता से सक्रिय संजय श्रीवास्तव का जन्म 1965 में हुआ। इन्होंने गोरखपुर, उत्तरप्रदेश से विज्ञान में स्नातक किया।अब तक उनके शताधिक वैचारिक अग्रलेख, ढेरों फीचर, कुछ विज्ञान फंतासी और दूसरी इतर पत्रकारिय विधाओं संबंधित कई रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। शब्द चित्र उकेरने वाले किंचित व्यंग्यातमक स्तंभ ‘शख्सीयत’ से उनको पहचान मिली। अंतर्राष्ट्रीय विषयों, विज्ञान, दर्शन, रक्षा स्वास्थ्य, पर्यटन के अलावा अपराध विज्ञान और खेल भी उनके पंसदीदा विषय रहे हैं। संप्रति राष्ट्रीय सहारा, हिन्दी दैनिक, दिल्ली से संबद्ध है।