नंगे पांव
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प्रत्येक सोचने समझने वाले व्यक्ति को अपने आसपास के जीवन की किसी व्यवस्था, परिस्थिति, घटना, वस्तु या व्यक्ति में कोई न कोई खोट या कमी नजर आती है। और यही सोच व्यक्ति के विचारों की जमीन को उर्वरा देती है। ऐसा है, ऐसा था, ऐसा होगा और ऐसा होना चाहिए... तो ट्टऐसा होना चाहिए’ का जो भाव है वो व्यक्ति की अपनी सोच का निष्कर्ष है जो पूरी तरह व्यक्तिनिष्ठ है, समष्टिगत नहीं... और जो समष्टिगत है, वही सर्वव्यापी है। लेकिन लेखक तो लेखक है। वह अपने चारो ओर जो है, जो नहीं है और जो नहीं होना चाहिए के भाव से पीड़ित हो कर द्वन्द्व—अंतर्द्वंद्व को कागज पर उतारता है। इस सफर में एक दूसरे से जुदा तमाम घटनाक्रम हैं, भावनाओं का ज्वार है, मोहब्बत की खुशबू है, आसपास के जीवन से मिलते जुलते किरदार हैं, गांव कस्बों के परिवेश में तहजीब का अक्स है तो कुरीतियों का जाल भी है। शहरों में चमक—धमक है तो खोखले आदर्श भी हैं। मुझे पूरी उम्मीद है कि लेखन के इस पहले प्रयास में ब्रजेश पाठक का उपन्यास पढ़ने वालों को न सिर्फ पसंद आएगा बल्कि बहुत कुछ सोचने को मजबूर भी करेगा।
प्रणव गोस्वामी (वरिष्ठ पत्रकार एवं राज्यसभा टीवी में प्रोड्यूसर
ब्रजेश पाठक का जन्म उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के मल्लावां कस्बे में हुआ। उन्होने प्रारंभिक शिक्षा मल्लावां में हासिल की। आगे की स्कूली शिक्षा उन्नाव के बांगमऊं कस्बे में पूरी की। आगे चलकर उन्हाेंने लखनऊ विश्वविघालय से उच्च शिक्षा हासिल की। 2004 में वह उन्नाव लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर युवा सांसद बने। इसके बाद 2008 में संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा के सदस्य के तौर पर निर्वाचित हुए। संसद सदस्य के तौर पर कई महत्वपूर्ण संसदीय समितियों के सदस्य रहे। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की स्थायी समिति के अध्यक्ष रहे। ब्रजेश पाठक का ट्टनंगे पांव’ उपन्यास के तौर पर पहला प्रयास है। इससे पहले उनकी उन्नाव जिले के ऐतिहासिक और भौगोलिक विषय पर आधारित किताब ट्टअद्भुत उन्नाव’ प्रकाशित हो चुकी है।Name | नंगे पांव |
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ISBN | 9789351655411 |
Pages | 166 |
Language | Hindi |
Author | Brajesh Pathak |
Format | Paperback |