नाम सुमिर मन बावरे
Quick Overview
जगजीवन जैसे लोग तो छोटी सी पगडंडी बनाते हैं। इस खयाल से भी नहीं बनाते कि कोई मेरे पीछे आएगा। खुद चलते हैं, उस चलने से ही घास-पात टूट जाता है, पगडंडी बन जाती है। कोई आ जाए पीछे, आ जाए। आ जाते हैं लोग। क्योंकि सत्य का जब अवतरण होता है तो वह चाहे राजपुत्रों में हो और चाहे दीन-दरिद्रों में हो, सत्य का जब अवतरण होता है तो उसकी गंध ऐसी है, उसका प्रकाश ऐसा है, जैसे बिजली कौंध जाए ! फिर किसमें कौंधी, इससे फर्क नहीं पड़ता। राजमहल पर कौंधी कि गरीब के झोपड़े पर कौंधी, महानगरी में कौंधी कि किसी छोटे-मोटे गांव में कौंधी- - बिजली कौंधती है तो प्रकाश हो जाता है। सोए जग जाते हैं। बंद जिनकी आंखें थीं, खुल जाती हैं। मूच्र्छा में जो पड़े थे उन्हें होश आ जाता है। कुछ लोग चल पड़तें हैं। ज्यादा लोग नहीं चल सकते, क्योंकि जगजीवन को समझने की क्षमता नहीं होती। हां, जो लोग प्रेम करने में समर्थ हैं, समझने के मार्ग से नहीं चलते बल्कि प्रेम के मार्ग से चलते हैं, वे लोग पहचान लेते हैं।
ओशो
Name | नाम सुमिर मन बावरे |
---|---|
ISBN | 9789350832028 |
Pages | 296 |
Language | Hindi |
Author | Osho |
Format | Paper Back |
जगजीवन जैसे लोग तो छोटी सी पगडंडी बनाते हैं। इस खयाल से भी नहीं बनाते कि कोई मेरे पीछे आएगा। खुद चलते हैं, उस चलने से ही घास-पात टूट जाता है, पगडंडी बन जाती है। कोई आ जाए पीछे, आ जाए। आ जाते हैं लोग। क्योंकि सत्य का जब अवतरण होता है तो वह चाहे राजपुत्रों में हो और चाहे दीन-दरिद्रों में हो, सत्य का जब अवतरण होता है तो उसकी गंध ऐसी है, उसका प्रकाश ऐसा है, जैसे बिजली कौंध जाए ! फिर किसमें कौंधी, इससे फर्क नहीं पड़ता। राजमहल पर कौंधी कि गरीब के झोपड़े पर कौंधी, महानगरी में कौंधी कि किसी छोटे-मोटे गांव में कौंधी- - बिजली कौंधती है तो प्रकाश हो जाता है। सोए जग जाते हैं। बंद जिनकी आंखें थीं, खुल जाती हैं। मूच्र्छा में जो पड़े थे उन्हें होश आ जाता है। कुछ लोग चल पड़तें हैं। ज्यादा लोग नहीं चल सकते, क्योंकि जगजीवन को समझने की क्षमता नहीं होती। हां, जो लोग प्रेम करने में समर्थ हैं, समझने के मार्ग से नहीं चलते बल्कि प्रेम के मार्ग से चलते हैं, वे लोग पहचान लेते हैं।
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:
- मेरे जीवन में कष्ट ही कष्ट क्यों हैं ?
- आत्मा को निखारने की कला का नाम ही ध्यान है
- मनुष्य-जीवन का संघर्ष क्या है ? इस संघर्ष का लक्ष्य क्या है ?
- वासना क्या है और प्रार्थना क्या है ?
- जीवन एक अवसर है परम जीवन को पाने के लिए
- प्रेम की इतनी महिमा है तो फिर मैं प्रेम करने से डरता क्यों हंू ?
- जरूरत के पार ही है जीवन का काव्य