हिम्मत है किरण बेदी
Quick Overview
इस संशोधित संस्करण में, वे उन्नत तकनीक व गांधीवादी विचारधरा युक्त उन योजनाओं को प्रकट करती हैं, जिन्हें वे दिल्ली पुलिस कमिश्नर बनने पर प्रयोग में लातीं। इसके अतिरिक्त यह भी पता चलता है कि वे किस तरह अपने समय की स्वामिनी बनकर समाज को बहुत कुछ देने की प्रक्रिया में जुटी हैं। अपने सेवानिवृत्ति के एक सप्ताह के भीतर ही उन्होंने ‘ई-पोर्टल’ लॉन्च किया, यदि पुलिस किसी व्यक्ति की शिकायत दर्ज करने से मना करती है तो वहाँ वह व्यक्ति या कोई भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। इसके बाद एक और ‘ई-पोर्टल’ सामने आया जो पुलिस समुदाय के कल्याण के लिए कार्य करेगा। वे एक टी.वी. कार्यक्रम ‘आपकी कचहरी’ में जज के रूप में भी आती हैं, जहाँ व्यक्तियों तथा परिवारो को अपनी समस्याओं व विवादों के उचित समाधन का अवसर मिलता है। वे एक लेखिका, स्तंभ-लेखिका तथा रेडियो कार्यक्रम प्रस्तोता भी हैं। वे एक वक्ता के रूप में निमंत्रित की जाती हैं, उन्होंने अपने दो गैर-लाभकारी संगठनों में स्वयंसेवी कार्यों के लिए, वक्ता फीस, पुरस्कार धन-राशि, पुस्तको से मिली रॉयल्टी व मानदेय आदि दान कर दिए हैं। वे इन दोनों संस्थाओं से कापफी गहराई से जुड़ी हैं, जो कि प्रतिदिन 11,000 लोगों तक अपनी सेवाएं पहुँचाती हैं। वे अपने जीवन पर बने वृत्तचित्रा ‘यस, मैडम सर’ ;जिसमें श्रोताओं से संवाद भी शामिल हैंद्ध की स्क्रीनिंग में भी शामिल रहीं।
Name | हिम्मत है किरण बेदी |
---|---|
ISBN | 8171829910 |
Pages | 320 |
Language | Hindi |
Author | Kiran Bedi |
Format | Paperback |
इस संशोधित संस्करण में, वे उन्नत तकनीक व गांधीवादी विचारधरा युक्त उन योजनाओं को प्रकट करती हैं, जिन्हें वे दिल्ली पुलिस कमिश्नर बनने पर प्रयोग में लातीं। इसके अतिरिक्त यह भी पता चलता है कि वे किस तरह अपने समय की स्वामिनी बनकर समाज को बहुत कुछ देने की प्रक्रिया में जुटी हैं। अपने सेवानिवृत्ति के एक सप्ताह के भीतर ही उन्होंने ‘ई-पोर्टल’ लॉन्च किया, यदि पुलिस किसी व्यक्ति की शिकायत दर्ज करने से मना करती है तो वहाँ वह व्यक्ति या कोई भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। इसके बाद एक और ‘ई-पोर्टल’ सामने आया जो पुलिस समुदाय के कल्याण के लिए कार्य करेगा। वे एक टी.वी. कार्यक्रम ‘आपकी कचहरी’ में जज के रूप में भी आती हैं, जहाँ व्यक्तियों तथा परिवारो को अपनी समस्याओं व विवादों के उचित समाधन का अवसर मिलता है। वे एक लेखिका, स्तंभ-लेखिका तथा रेडियो कार्यक्रम प्रस्तोता भी हैं। वे एक वक्ता के रूप में निमंत्रित की जाती हैं, उन्होंने अपने दो गैर-लाभकारी संगठनों में स्वयंसेवी कार्यों के लिए, वक्ता फीस, पुरस्कार धन-राशि, पुस्तको से मिली रॉयल्टी व मानदेय आदि दान कर दिए हैं। वे इन दोनों संस्थाओं से कापफी गहराई से जुड़ी हैं, जो कि प्रतिदिन 11,000 लोगों तक अपनी सेवाएं पहुँचाती हैं। वे अपने जीवन पर बने वृत्तचित्रा ‘यस, मैडम सर’ ;जिसमें श्रोताओं से संवाद भी शामिल हैंद्ध की स्क्रीनिंग में भी शामिल रहीं।