बूंद ही सागर
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ज्ञान रूपी मोतियों को आप ही ने संभालना है। अगर सींपी की तरह संभाल लोगे, तो मोती रोज बढ़ते-फलते जाएंगे। यह ज्ञान कम होने की चीज नहीं है। यह तो बढ़ता ही जाता है। परमात्मा रहमत करें, बुदि्ध में हमारी इतनी शक्ति और ताकत दें कि उसकी बात कहने की सुनने की शक्ति हमें मिलें।
Name | बूंद ही सागर |
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ISBN | 8128815113 |
Pages | 52 |
Language | Hindi |
Author | Anandmurti Guru Maa |
Format | Paperback |
Boond Hi Sagar